सोनी सब के सबसे पॉपुलर शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ पिछले कई सालों से दर्शकों को हँसी के डोज़ दे रहा है। कमाल की बात ये है कि इस टीवी सिटकॉम को सिर्फ बच्चे ही नही बल्कि हर वर्ग के लोग पसंद करते हैं। इनके सभी किरदार अपने आप मे खास हैं। गड़ा इलेक्ट्रॉनिक के मालिक जेठालाल और उनकी पत्नी दयाबेन शो की जान हैं। दयाबेन की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री दिशा वकानी ने सितंबर 2017 को शो से छुट्टी ली थी और आज तक नही लौटी।
5 सालों से लोग कर रहे हैं दयाबेन की वापसी का इंतज़ार
दिशा वकानी के शो से जाने के बाद भी उनके किरदार को जीवित रखा गया। तारक मेहता के दर्शक इसी आस में बैठे हैं कि दिशा वकानी एक बार फिर दया भाभी के किरदार में आएगी और, टप्पू के पापा कहकर मज़ाक करेंगी। आज करीबन पांच साल होने को जा रहे हैं, शो मस्त चल रहा है, टकाटक चल रहा है। बस कमी है तो दयाबेन की।
ज्यादातर ऐसा होता है कि जब शो से कोई एक्टर चला जाता है तो उस किरदार को निभाने के लिए किसी अन्य एक्टर को चुन लिया जाता है। शो के निर्माता इन पाँच सालों में कई बार कहते नज़र आए की दिशा वकानी शो में जल्द ही वापसी करेंगी।
दिशा वकानी के अलावा दयाबेन का किरदार कोई नही कर सकता
टीवी के एक अन्य शो में जब अंगूरी भाभी का किरदार निभा रही शिल्पा शिंदे को शो से निकाला गया तब तुरंत दूसरी अभिनेत्री को कास्ट किया गया था। उसी शो को जब सौम्या टंडन ने छोड़ा था तो नेहा पेंडसे को गोरी मेम बनने के लिए बुलाया गया। तारक मेहता में भी अंजली भाभी की भूमिका निभाने वाली नेहा मेहता ने शो छोड़ा तो सुनन्या फौजदार को कास्ट किया था। फिर आज तक दिशा वकानी का रिप्लेसमेंट क्यों नही खोजा गया। दयाबेन के किरदार में जो जान दिशा ने डाली थी वो कोई और नही कर पायेगा।
ये शो के मेकर्स भी जानते हैं। दिशा वकानी जो मुँह बनाती है, आवाज़ बनाती है और दर्शकों को दीवाना बना लेती है, वो काम शायद कोई दूसरी अभिनेत्री न कर सके इसीलिए असित मोदी आज तक दिशा के हां बोलने का इंतज़ार कर रहे हैं।
गुजराती स्टेज नाटकों से हुई शुरुआत
दिशा वकानी का जन्म 17 अगस्त 1978 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था। गुजराती जैन फैमिली में जन्म लेने के कारण वह कई नियमों का पालन शुरू से करती आई थी। उन्हें अभिनय कला में रुचि थी। वे नाटकों में काम करने का ख्वाब रखती थी और इसी कारण गुजरात कॉलेज से ड्रामेटिक आर्ट्स की पढ़ाई की। इसी दौरान उन्होंने खुद के अंदर के प्रतिभा को पहचाना और निखारा। ड्रामेटिक कोर्स करने के बाद उन्होंने स्टेज प्ले करना शुरू किया। शुरुआत में वे सिर्फ गुजराती नाटकों पर फोकस करती रहीं। ‘कमाल पटेल वर्सेस धमाल पटेल’ और ‘लाली लीला’ जैसे नाटकों से उन्होंने फैंस बनाने के साथ कुछ निर्देशकों के नज़रों में भी आई।
कमसिन थी उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म
बाहत कम लोग ही जानते हैं कि दिशा वकानी ने बी ग्रेड फ़िल्म में भी काम किया है। 1997 में आई ‘कमसिन : द अटच्ड’ उनकी पहली हिंदी फिल्म थी। यह उस दैरान बनने वाली लो बजट की बी ग्रेड फिल्मों की तरह ही थी। यह कुछ कॉलेज के दोस्तो की कहानी है जो छुट्टी मनाने के लिए एक साथ बाहर जाते हैं। इस फ़िल्म में जितने भी लोग थे उनमें से सिर्फ दिशा ही इतने बड़े मुकाम तक पहुँच पाई। इस फ़िल्म से दिशा का संघर्ष खत्म नही हुआ।
देवदास और जोधा-अकबर में निभाई बेहद छोटी भूमिका
1999 में उन्होंने एक मराठी फिल्म करने के साथ ही एक अन्य हिंदी फिल्म ‘फूल और आग’ में बहुत छोटा सा रोल निभाया। वे स्टेज प्ले करती थी और ऑडिशन भी देती रहती थी। इसी दौरान तारक मेहता के शुरू होने से पहले उन्होंने कुछ बड़ी फिल्मों में बहुत छोटे-छोटे किरदार किए। शाहरुख की देवदास और हृतिक की जोधा अकबर में उन्हें देखा जा सकता है। 2008 में वे आखिरी बार बड़े पर्दे पर दिखीं क्योंकि उसी वर्ष उन्हें तारक मेहता शो मिल गई।
दयाबेन और दिशा में काफी समानतायें
तारक मेहता शो से पहले वे खिचड़ी, हीरो : भक्ति ही शक्ति और आहट जैसे शो में नज़र आई। तारक मेहता के मेकर्स को दिशा वकानी में दयाबेन की झलकियाँ मिलीं। उस किरदार को दिशा से बेहतर कोई कर ही नही सकता था। दयाबेन और दिशा दोनों ही जैन गुजराती हैं। दोनों को ही डांडिया, गरबा का शौक है। उस शो ने उन्हें ऐसी पॉपुलैरिटी दी कि शो से निकले पांच साल हो गए हैं लेकिन लोगों के दिलों में आज भी राज करती हैं। 43 की हो चुकी दिशा ने 2015 में मुंबई के रहने वाले मयूर पडिया (Mayur Padia) से शादी रचाई जो पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। दोनों के दो बच्चे हैं।
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