लता मंगेशकर : “क्वीन ऑफ मेलोडी”, “नाइटिंगेल ऑफ इंडिया” और “वॉयस ऑफ द मिलेनियम” ना जाने ऐसी कितनी उपाधियां हैं जो लता मंगेशकर ने अपने नाम की हैं. वह भले ही इस दुनिया में नहीं रहीं लेकिन उन्होंने अपना नाम दुनिया के सबसे उम्दा कलाकारों की श्रेणी में दर्ज किया है. उन्हें प्यार से लोग” लता दीदी ” भी बोला करते थे. आज भी हर कोई लता दीदी की सुरीली आवाज सुनकर खो जाता है. 1989 में स्वर कोकिला को “दादा साहेब फाल्के अवार्ड” से सम्मानित किया गया. 2001 में लता मंगेशकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया.

अगर जिंदा होते पिता तो नहीं बनती सिंगर : लता मंगेशकर
13 साल की उम्र में ही लता ने अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर को हमेशा के लिए खो दिया. परिवार की सारी जिम्मेदारी उन के कंधे पर आ गयी. परिवार का खर्च चलाने के लिए उन्होंने छोटी सी उम्र में ही सिंगिंग के क्षेत्र में अपना डेब्यू किया. कुछ समय बाद उन्हें मास्टर गुलाम हैदर की फिल्म मजबूर के गीत ‘अंग्रेजी छोरा चला गया’ में मुकेश के साथ गाने का ऑफर दिया गया. लता के पिता दीनानाथ मंगेशकर को मालूम ही नहीं था कि उनकी बेटी में गायन की प्रतिभा है. लता ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि अगर उनके पिता होते तो वो आज गायक नहीं बन पातीं.
माता पिता को मानती थीं भगवान, धोती थीं पैर :
लता मंगेशकर हर रोज अपने माता पिता के पैर धोकर उस जल को पी लेती थीं. उनका मानना था कि माता पिता ही भगवान हैं और जो बच्चे माता पिता की सेवा करते हैं, उनके चरण धोकर पीते हैं उन्हें सफ़लता की सीढियां चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. लता मंगेशकर जितने दिन कोल्हापुर में रहती थीं, यही नियम हर दिन दोहराती थीं.

लता मंगेशकर ने 1,000 से ज्यादा हिंदी गीतों को अपनी सुरीली आवाज दी है. इनमें से ज्यादातर गीत प्यार के एहसास को बयां करने वाले हैं। मध्यप्रदेश के इंदौर में 28 सितंबर को जन्मी लता भारत की सबसे सम्मानित और आदरणीय गायिका रहीं. जीवन के आखिरी पडाव में वह काफी बीमार भी रहीं. 6 फरवरी 2022 रविवार को मुम्बई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में लाता दीदी ने अपनी आखिरी साँस ली. उनकी महान गायकी और सुरीली आवाज के कायल आज भी पूरी दुनिया में हैं.
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