भुवन बाम की वेब सीरीज ‘ढिंढोरा’ तो सभी ने देखी होगी। उस शो में उनके पिता के बॉस की भूमिका में एनएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) से पास आउट हुए इश्तियाक खान (Ishtiyak Khan) ने निभाई थी। इश्तियाक खान मस्तराम, जौली एलएलबी, तीस मार खान, तमाशा, भारत और हाल ही में आई जनहित में जारी में काम कर चुके हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना से ताल्लुक रखने वाले इश्तियाक खान के लिए फिल्मों में आना इत्तेफाक ही रहा। वे आज जबरदस्त कॉमेडी और अभिनय के लिए जाने जाते हैं। उनकी कहानी बहुतों को प्रेरणा देती है।
12 वर्ष में सर पर आ गयी थी ढेरों ज़िम्मेदारियाँ
मायानगरी मुम्बई में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके इश्तियाक खान का बचपन संघर्ष से भरा था। बारह वर्ष की आयु में ही उनके पिता चल बसे थे। उनके माता पर घर की सारी ज़िम्मेदारियाँ आन पड़ी थी। उन्होंने स्कूल में पढ़ाई जारी रखते हुए घर संभालने में मां की सहायता करने की ठान ली। घर के पास ही सायकिल की दुकान थी। वहां उन्होंने पंचर बनाना शुरू किया फिर मोटरसाइकिल रिपेयर करने लगे। उस काम से भी ज़रूरतें पूरी नही हुई तो सर्दियों में उबले अंडे बेचकर परिवारा का सहारा बनने की कोशिश की।
उन्हें बचपन से ही संगीत में रुचि थी इसी कारण 15 अगस्त और 26 जनवरी को आस पड़ोस के स्कूलों में बच्चों को देशभक्ति गीत सिखाने जाते थे। उस काम से उन्हें कुछ पैसे मिल जाते।
नुक्कड़ नाटक में ढोलक बजाते-बजाते एनएसडी तक का सफर
किसी भी कलाकार के लिए भारतीय नाट्य संस्थान दिल्ली से नाट्य कला सीखने की इच्छा होती है। कई लोग अथक प्रयास के बावजूद एडमिशन में सफल नही हो पाते। पढ़ाई में पिछड़ चुके इश्तियाक को उनकी पत्नी ने ग्रेजुएशन करने में सहायता की। एनएसडी जाने की प्रेरणा इश्तियाक के एक गुरु ने दी थी। दअरसल 1990 के आस पास पन्ना शहर में एक थिएटर ग्रुप को नुक्कड़ नाटक के लिए ढोलक बजाने वाले की दरकार पड़ी। इश्तियाक ने अपना नाम आगे कर दिया। इसी तरह एक दिन नाटक में एक कलाकार की कमी हुई तो इश्तियाक ने खुद को आगे किया और अभिनय से प्रेम कर बैठे।
उसी ग्रुप के गुरु ने उनकी कला से प्रभावित होकर एनएसडी में एडमिशन लेने को कहा। एनएसडी में एक दफा इश्तियाक ने एक नाटक में पंडित की भूमिका निभाई थी। उन्होंने उस पंडित के आत्मा को ऐसे पकड़ा कि कई दिनों तक माथे में तिलक और शरीर में सफेद वस्त्र लपेटकर सड़कों में घूमते रहे।
रामगोपाल वर्मा ने दिया पहला ब्रेक
इश्तियाक खान मुम्बई आना नही चाहते थे लेकिन ये जगजाहिर है कि नाट्यकला से कोई भी कलाकार अपना पेट नही पाल पाया है। इसी के गिरफ्त में इश्तियाक भी आ चुके थे। परिवार संभालने के लिए मुम्बई आये। कई दिनों तक जो काम मिला वो करते रहे फिर एक दिन रामगोपाल वर्मा की ‘अज्ञात’ में छोटा सा किंतु अहम रोल मिला। इश्तियाक कहते हैं कि मुंबई में उन जैसे एक्टर्स को रोज इम्तिहान देना पड़ता है। यहाँ वे कई रोल के लिए ऑडिशन देते हैं लेकिन रोल गिने-चुने ही मिल पाते हैं।
छोटी हाईट को लेकर लोग मज़ाक उड़ाते थे
जनहित में जारी फ़िल्म में उन्होंने अपने से ऊँचे कद की ‘नुसरत भरुचा’ के पिता के किरदार में थे। इश्तियाक को फ़िल्म में पसंद किया गया। एक दौर था जब उनके हाइट को लेकर लोग मजाक बनाते थे। लेकिन राजपाल यादव और लिलिपुट जैसे लोगों ने कद को कभी खुद को मापने के पैमाना नही बनने दिया। असरानी भी इसी फेहरिस्त में शामिल हैं। इश्तियाक के पास ओटीटी के भी कुछ प्रोजेक्ट्स हैं। इसके साथ ही वे कई हिंदी फिल्मों में भी नज़र आने वाले हैं। इश्तियाक जैसे कलाकार ही फिल्मों में वो जान डाल पाते हैं जो कभी दर्शक महसूस तक नही कर पाते। इनके कार्यों में बारीकियाँ होती हैं।
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