अनिल शर्मा बॉलीवुड के बहुत बड़े निर्देशक हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी ग़दर 2 की घोषणा की है। ग़दर को रिलीज हुए 20 साल से भी ज्यादा हो गए हैं लेकिन फ़िल्म आज भी लोगों को अच्छे से याद है। सनी देओल के हैंडपंप उखाड़ने वाले सीन ने लोगों को तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया था।
धर्मेंद्र के साथ है अच्छी बॉन्डिंग
दअरसल 23 की उम्र में ही अनिल शर्मा की पहली फ़िल्म ‘श्रद्धांजलि’ रिलीज हुई थी। उसके बाद उन्होंने धर्मेंद्र के साथ लगातार 4 फिल्में बनाई। हुक़ूमत, फरिश्ते, एलान-ए-जंग और तहलका। फरिश्ते के बाद उन्होंने पांच साल का ब्रेक ले लिया और गोविंदा की फ़िल्म ‘महाराजा’ (1998) से बड़े पर्दे पर वापसी की।
इस बीच उनके प्रोडक्शन हाउस की 3-4 फिल्में आयी जिन पर उन्होंने उतना ध्यान नही दिया। धर्मेंद्र के साथ उनकी अच्छी बॉन्डिंग थी।
जब निर्माता ने कहा, तुम पुराने ज़माने के निर्देशक हो
गोविंदा नब्बे के दशक के बहुत बड़े सितारे हुआ करते थे। अनिल शर्मा ने महाराजा लिखने के बाद उनके अपोजिट मनीषा कोइराला को कास्ट किया। महाराजा फ़िल्म उतनी चल नही पाई जितनी अनिल शर्मा ने सोची थी। उन दिनों फ़िल्म के रिलीज के बाद वे कर्ज़ में डूब चुके थे। तभी एक टीवी निर्माता ने उन्हें एक टीवी शो निर्देशित करने के लिए साइन किया और कहा कि अगले दिन 25 लाख का चेक लेकर आएंगे।
दो दिन बीत गए लेकिन वह निर्माता पैसे लेकर नही आया। फिर वह अनिल को एक जगह लेकर गया और बताया कि वे 25 लाख का चेक अपने जेब मे ही लेकर घूम रहे हैं लेकिन इसलिए नही दिया क्योंकि एक व्यक्ति ने उन्हें कहा कि , “वह तो पुराने ज़माने का निर्देशक है।” अनिल शर्मा उन दिनों 40 के करीब होंगे। उन्हें बहुत अजीब लगा। उन्होंने ठान लिया कि लोगों को कुछ बड़ा करके दिखाना है।
ग़दर के कारण दिलीप कुमार के साथ काम न कर पाने का अफसोस
महाराजा के दौरान ही वे कश्मीरी पंडितों पर फ़िल्म बनाने की तैयारी कर रहे है। फ़िल्म का नाम कश्मीर रखा था और उसमें वे दिलीप कुमार और धर्मेंद्र को कास्ट करना चाहते थे। दिलीप साहब को जब कश्मीर की पटकथा सुनाई गई तो उन्होंने तुरंत ही हां कह दिया था। धर्मेंद्र के साथ वे पहले भी कई फिल्मों में काम कर चुके थे। स्टार कास्ट फाइनल होने के बाद वे अपनी पटकथा में एक सब प्लाट तलाशने में लगे हुए थे। तभी उनके लेखक शक्तिमान उनके पास आए और बूटा सिंह की कहानी सुनाई। अनिल शर्मा ने तुरंत ही कश्मीर के आईडिया को ड्राप किया और ग़दर की कहानी में लग गए। उन्हें आज भी अफसोस है कि ग़दर के कारण वे दिलीप साहब के साथ काम नही कर सके।
रामायण से उठायी गयी है ग़दर की कहानी
अनिल ने बूटा सिंह की कहानी पहले भी सुन रखी थी। बूटा सिंह वही हैं जिनके जीवन से प्रेरित होकर ग़दर की कहानी बनी है। वे अपने कमरे में घूमते रहे और ग़दर की कहानी सोची। उन्होंने इसको रामायण से जोड़ दिया। वे बताते हैं कि रामायण की कहानी हर भारतीय के दिल से जुड़ी है। उन्होंने ग़दर को इसी के साथ जोड़ दिया। फ़िल्म में जट किरदार के लिए उन्होंने धर्मेंद्र के बड़े बेटे सनी देओल को लिया। वह फ़िल्म सनी देओल के करियर की सबसे बड़ी हिट मानी जाती है। एक तरह से देखा जाए तो ग़दर के बाद से सनी देओल आज तक एक भी इतनी बड़ी सोलो हिट नही दे पाए हैं।
ग़दर 2 में अनिल ने सनी देओल के साथ अपने बेटे उत्कर्ष शर्मा को भी लिया है जो ग़दर के पहले पार्ट में बाल कलाकार थे। अगले 15 जून को ग़दर अपने 21 साल पूरे कर लेगी। उत्कर्ष शर्मा की पहली फ़िल्म जीनियस थी जो डिज़ास्टर साबित हुई थी। ग़दर के साथ आमिर खान की लगान भी रिलीज हुई थी और दोनों ही सुपरहिट रही थी.
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