समोसा : ऐसा संभव ही नहीं है कि भारत में चाट का नाम आए और समोसे को इग्नोर किया जाए. ऐसा कोई बाजार नहीं है जहां समोसे की दुकान ना दिखती हो. फुटपाथ से लेकर होटलों तक हर जगह समोसा मौजूद है और मजे की बात तो यह है कि यह दिन पर दिन और महंगा होता जा रहा है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को समोसे बहुत भाते हैं. लेकिन भारत में यह कैसे आया? चलिए इस सवाल का ज़वाब आपको बताते हैं.
ईरान से आया था समोसा
जानकारी के लिए बता दें कि समोसा ईरान से आया था. शायद ही ऐसा कोई भारतीय है जिसे समोसे का नाम नहीं पता होगा. समोसा आया तो एक डिश के रूप में था लेकिन यह भारतीय चाट के साथ बहुत जल्दी घुल मिल गया था.
समबुश्क से बना समोसा
सबसे पहले समोसे के स्वाद का जिक्र ईरान के इतिहासकार अबुल फाजी बेहकी (995-1077 ई.) ने किया था. उन्होंने समोसे को ‘समबुश्क’ एवं ‘समबुस्ज’ नाम दिया था. समोसा एक त्रिभुज के आकार की डिश होती है जिसकी बाहरी परत कुरकुरी और अंदर आलू की फिलिंग रहती है.
भारतीय चाट बाजार में समोसा आज कल लोगों की पहली पसन्द बना हुआ है.
मुस्लिम व्यापारी भारत में लाए थे समोसा
बताते चलें कि मुस्लिम व्यापारी पहली बार समोसे को भारत में लाए थे. भारत के लोगों ने 13वीं और 14वीं शताब्दी में सबसे पहले समोसा व्यंजन के बारे में सुना था. पहले यह डिश मुस्लिम राजवंशों के यहां तैयार की जाती थी, लेकिन बाद में इसे भारत देश ने अपने पकवान में शामिल कर लिया.
अब भारत का चाट बाजार समोसे के बिना अधूरा है.
इब्नबतूता ने की समोसे की तारीफ
आप यात्री इब्नबतूता के बारे में तो जानते ही होंगे उन्होंने सबसे पहले भारत में समोसा चखा था. उन्होंने अपनी यात्रा संस्मरण में समोसे के स्वाद का भी जिक्र किया था. देखा जाए तो पहले अरब में बनने वाले समोसे में प्याज, पालक, पनीर और मांस भरा जाता था लेकिन धीरे-धीरे अब वहां भी मटर और आलू की फिलिंग की जाती है.
अगर आपने अभी तक समोसा नहीं खाया तो आपको बता दें कि आप अभी तक भारतीय चाट का आनंद नहीं ले पाए हैं. क्यूंकि भारतीय चाट, समोसे के बिना अधूरी ही है.
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