बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकार नाना पाटेकर इन दिनों बड़े पर्दे से गायब हैं लेकिन वे समाज सेवा काम मे लगे हुए हैं। नाना का हमेशा से थिएटर के प्रति एक अलग लगाव रहा है। जहाँ दूसरे लोग अभिनय को स्टारडम के रूप में देखते हैं वहीं नाना अपने किरदारों से मन में जो भड़ास है उसे निकालने की कोशिश करते हैं।
समाज के कुरीतियो, बुराइयों, भ्रष्टाचार आदि को देखकर उन्हें बुरा लगता है और फिल्मों के संवाद के माध्यम से वे अपनी बात कहते हैं।
जब अन्नू कपूर ने निर्देशन में हाथ आज़माया
अन्नू कपूर को लोग कॉमेडी के साथ ही करैक्टर रोल्स के लिए भी जानते हैं। वे सहायक अभिनेता के रूप में लोगों को खूब पसंद आये हैं। वे हमारी मातृभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत प्रयास करते हैं। वे जितनी अच्छी हिंदी बोलते हैं, उनकी उर्दू भी उतनी ही बढ़िया है। बहुत कम लोग जानते हैं कि अन्नू कपूर ने 1994 में अभय नाम की एक फ़िल्म निर्देशित की थी। अभिनय से हटकर उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाया और बच्चों के लिए एक खूबसूरत फ़िल्म बना दी।
विदेशी उपन्यास से प्रेरित होकर लिखी गई थी फ़िल्म की कहानी
1983 में आई मंडी से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अन्नू कपूर ने ऑस्कर विल्डे के उपन्यास ‘द कैन्टरविले घोस्ट’ से प्रेरित होकर एक हिंदी फिल्म बनाने का निर्णय लिया। इसकी कहानी लिखने का काम सीमा कपूर ने किया जो अन्नू कपूर की बहन हैं।
उस फिल्म का नाम रखा गया ‘अभय : द फीयरलेस’। इस फ़िल्म की पटकथा इतनी कसी हुई थी कि उसके लिए एक शानदार अभिनेता की आवश्यकता थी।
उन दिनों करियर के शीर्ष में थे नाना पाटेकर
अन्नू कपूर ने नाना पाटेकर को फ़िल्म का हिस्सा बनाने का सोचा। नाना पाटेकर उस दौर में अपने करियर के शीर्ष में थे। उस दौर में उन्होंने परिंदा, तिरंगा, प्रहार, अंगार, राजू बन गया जेंटलमैन और क्रांतिवीर जैसी फिल्में दी थी। उन्हें उन चार वर्षों के भीतर 2 नेशनल अवार्ड मिल चुके थे। जब अन्नू कपूर अभय में उन्हें कास्ट करने के इरादे से गए तब पटकथा पढ़कर ही नाना ने फ़िल्म के लिए हामी भर दी। 65 लाख की फीस लेने वाले नाना ने कला और अभय के स्क्रिप्ट के चलते मात्र 21 हज़ार फीस के रूप में लिया।
अन्नू कपूर ने अभय फ़िल्म को निर्देशित करने के साथ ही प्रोड्यूस भी किया था। हालांकि, उस फिल्म के बाद ना तो वे निर्देशन में हाथ आजमा पाए और ना ही कोई दूसरी फिल्म प्रोड्यूस कर पाए। अभय को बेस्ट चिल्ड्रन फ़िल्म का नेशनल अवार्ड मिला और अन्नू कपूर को भी निर्देशन के लिए पुरुस्कार मिले।
विक्की डोनर से जुड़ा एक किस्सा
अन्नू कपूर का फ़िल्म विक्की डोनर से भी जुड़ा एक किस्सा है। जब उस फिल्म के लिए शूजित सरकार अपने राइटर के साथ अन्नू कपूर को फ़िल्म की कहानी सुनाने गए थे तब अन्नू कहीं बाहर जा रहे थे। उन्होंने शूजित से कहा कि आप स्क्रिप्ट छोड़ दो, मैं दो दिन बाद जवाब देता हूँ। उनको प्रोजेक्ट के प्रति उतनी रुचि नही थी लेकिन जब कार्यक्रम में न जा पाने की वजह से स्क्रिप्ट पढ़ने बैठे तो खत्म करके ही माने और खत्म होते ही तुरंत निर्देशक को कहा कि वे उनकी फिल्म कर रहे हैं। फ़िल्म में उनके द्वारा किए गए जबरदस्त अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया।
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